कविता
खुनिया आरि
त्रेतायुगक बात अछि
लक्ष्मण एकटा रेख बनेने छला
रावणके रोकबाक लेल
सीताके बचेबाक लेल
आइ कलयुगमे
रेख त' वैह अछि
परञ्च
रामके रोकबाक लेल
स्वार्थके बचेबाक लेल
इ रेख ,इ आरि
बनाओल गेल अछि
पुरखाक स्वप्नके
कोरि - कारि क'
एकर आगाँ
मानवता,भाईचारा,प्रेम
सबकिछु हीन अछि
एहि आरिक परंपरा
पीढ़ी दर पीढ़ी
निमाहल जैत
लक्ष्मणके जीबैत
कोनो राम
नञि टपि सकै छथि
इ खुनिया रेखके, आरिके
© सुमित मिश्र ''गुंजन''
करियन, समस्तीपुर
सम्पर्क - 8434810179
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