सुमित मिश्र 'गुंजन'

मैं पढ़ लेता हूँ आँखों व चेहरों की तमाम भाषा.. . . . . .

Monday 8 April 2013

गणितक ओझराएल हिसाब छी

गजल-15

गणितक ओझराएल हिसाब छी हम
सुधि नहि रहल कोनो शराब छी हम

शोणित बहाबै लड़ि कऽ अपनेमे सब
दुखसँ छटपटाइत तेजाब छी हम

एक एक आखरमे अनन्त भाव अछि
बुझै सब अनचिन्हार किताब छी हम

पाथरसँ बस चोटक आशा करै छी
काँटमे फूलाएल एगो गुलाब छी हम

निर्लज्ज भऽ गेल जमाना कनिको लाज नै
बिसरि गेल हमरा की खराब छी हम

चलि रहल देखू आब कागजेपर देश
"सुमित" की कहतै एतऽ जबाब छी हम

वर्ण-15
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर