सुमित मिश्र 'गुंजन'

मैं पढ़ लेता हूँ आँखों व चेहरों की तमाम भाषा.. . . . . .

Saturday, 16 May 2015

दुखक बदरी कतबो गरजैये

गजल-16

दुःखक बदरी केतबो गरजैये
जीवनक ज्योति सदिखन जरैये

भने ज्ञान अछि सत्य केर तखनो
मोह -सरितामे सबकेओ बहैये

जाहि भूमि पर गर्व करैत अछि
छोरि निज गाम शहर भटकैये

सत्य -अहिंसा इतिहासक गप्प छै
अप्पन पहचान आप मेटबैये

आगि लगल अछि सगरो जगमे
मानवताक गाछ सेहो धधकैये

आइ प्रेमक पुष्प अछि खिलायल
"सुमित" मीठ - मीठ पवन सिहकैये

वर्ण -13

सुमित मिश्र
करियन , समस्तीपुर

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