गजल-13
नवका रंगमे रंगा रहल छै
अपनों लोकसँ डेरा रहल छै
बिसरि जाऊ सब बाग बगीचा
सबटा सपना उड़ा रहल छै
माँटि बनल आब गरदा देखू
अप्पन जिनगी जड़ा रहल छै
कतऽ छै कल-कल निर्मल धारा
छोड़ि संग सब पड़ा रहल छै
मोन कलपै छै समय देख कऽ
नीर नैन आब चोरा रहल छै
"सुमित" चाहत प्रेम सदिखन
डोरि सिनेहक जोड़ा रहल छै
वर्ण-12
सुमित मिश्र
करियन,समस्तीपुर
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