गजल-11
जरि-जरि ओ इजोर करै छै
अंत-अंत धरि नोर खसै छै
धनके बल सँ उड़ैत अछि
पैर धरा पर राखि चलै छै
मुँह पर हँसीके मुखौटा सँ
पीड़ करेजमे दाबि रहै छै
दौड़ एहन दौड़ नै सकलौँ
समयोके समय यादि रखै छै
साँच सभसँ भरिगर पाप
उलटा गंगा धार बहै छै
देब कोना आब शिक्षा केकरो
आन्हरो पोथी खोलि पढै छै
गाम डुबायल चिन्ता नै अछि
माँथहि तगमा साटि चलै छै
मोनक गप्प मोनहि राखल
"सुमित" शब्दमेँ बान्हि कहै छै
वर्ण-11
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
जरि-जरि ओ इजोर करै छै
अंत-अंत धरि नोर खसै छै
धनके बल सँ उड़ैत अछि
पैर धरा पर राखि चलै छै
मुँह पर हँसीके मुखौटा सँ
पीड़ करेजमे दाबि रहै छै
दौड़ एहन दौड़ नै सकलौँ
समयोके समय यादि रखै छै
साँच सभसँ भरिगर पाप
उलटा गंगा धार बहै छै
देब कोना आब शिक्षा केकरो
आन्हरो पोथी खोलि पढै छै
गाम डुबायल चिन्ता नै अछि
माँथहि तगमा साटि चलै छै
मोनक गप्प मोनहि राखल
"सुमित" शब्दमेँ बान्हि कहै छै
वर्ण-11
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
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