सुमित मिश्र 'गुंजन'

मैं पढ़ लेता हूँ आँखों व चेहरों की तमाम भाषा.. . . . . .

Thursday 28 February 2013

पहाड़ संग टकरेबाक लेल

गजल-7

पहाड़ संग टकरेबाक लेल अटल विश्वास चाही
नै मिझा सकै एहन ज्वालामुखीके प्रकाश चाही

पिँजराक बंधन में बन्न पंछी कोना कऽ उड़ि सकत
कोनो सपना पूरा करबाक लेल मुक्त आकाश चाही

करेज पर चोट करैत भविष्य केर किछु सवाल
शीप वा मोती पाबऽ लेल सागर पिबाक पियास चाही

अन्हारेमे आयल दिनकर सँ संसार रोशन छै
अज्ञानता सँ जीतबाक लेल निरंतर प्रयास चाही

ई चलायमान दुनिया अनवरत चलैत रहत
मुदा अचल नाम लेल पहचान किछु खास चाही

माटि पर गिरल फूल सँ भी घर-आँगन गमकत
मुदा ओझरायल बाटमेँ सही राहके तलाश चाही

कृपा करब माँ शारदे आब नाव फँसल मँझधार
हरेक खेल जीत सकी "सुमित" के एतबे आश चाही

वर्ण-20
सुमित मिश्र

No comments:

Post a Comment