गजल-2
चंचल चलै बसंत बहि आयल
हर्षित मोन चिहुँक कहि जागल
हुनकर रूप देख मोन व्याकुल
जेना चिड़ैयाँ वाण सहि कऽ घायल
दुख केर देख मनुख किए कानै
मयूर घटा कारियो देखि नाचल
अनकर पीड़ देखि खुश होइ छी
निज दुख मे मनुख किए कानल
चाँदनी कें संग चान बहरायल
"समित" प्रेमक छटा देखि पागल
वर्ण-13
सुमित मिश्र
चंचल चलै बसंत बहि आयल
हर्षित मोन चिहुँक कहि जागल
हुनकर रूप देख मोन व्याकुल
जेना चिड़ैयाँ वाण सहि कऽ घायल
दुख केर देख मनुख किए कानै
मयूर घटा कारियो देखि नाचल
अनकर पीड़ देखि खुश होइ छी
निज दुख मे मनुख किए कानल
चाँदनी कें संग चान बहरायल
"समित" प्रेमक छटा देखि पागल
वर्ण-13
सुमित मिश्र
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