सुमित मिश्र 'गुंजन'

मैं पढ़ लेता हूँ आँखों व चेहरों की तमाम भाषा.. . . . . .

Thursday, 28 February 2013

ग्रहण लागल अछि

गजल-10

ग्रहण लागल अछि सूर्यसँ चान धरि
जिनगी सिमटल घरसँ बथान धरि

सीना तानि खड़ा सीमापर किछु जवान
लड़ै मातृभूमि लेल आनसँ शान धरि

पाथरपर घिस रंगीन भेल मेंहदी
ठोकर देने अछि अपनसँ आन धरि

एक झूठसँ टूटि बिखरि गेल करेज
लय हीन गीत हम सुरसँ तान धरि

करिया धुन्धमे गुम भऽ गेल सब किछु
माँगत अधिकार बच्चासँ सियान धरि


गरीबी केर चक्कीमे पिसा रहल लोक
चालि एक्के "सुमित" तीरसँ कमान धरि


वर्ण-15
सुमित मिश्र 
करियन ,समस्तीपुर

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