गजल-4
अहाँक प्रेमक खातिर सजनी जग भरिसँ ठुकरायल छी
नजरि फेर अहाँ देखू एक बेर सूतल नीन्न जगायल छी
बन्न नयनसँ जगकेँ देखलौँ खोइल नैन हम सपनाकेँ
बाट हमर ओ ताकैत हेता झटपट भाइग परायल छी
पैरक पायल छम छम बाजै नैन कटार हम घायल छी
आइ अहाँ संग आँखि मिचौली खेली टीस करेज समायल छी
सबेर-सबेर सूरज प्रभातक किरण लऽ आबै नित दिन
हम पतंग बस उड़ि रहल मुदा डोरि हाथ नचायल छी
दोष सबटा हमरेपर जुनि सोचि रहल बस एतबे छी
बिना तेल दीपक केर टेमी सिहैक सिहैक कऽ बुतायल छी
प्रेम सरोवरमे डूबि रहल अछि मुदा किनारा नै भेटत
"सुमित" बैस बस ताकि रहल सबटा गप फरिछायल छी
वर्ण-23
सुमित मिश्र
करियन ,समस्तीपुर
अहाँक प्रेमक खातिर सजनी जग भरिसँ ठुकरायल छी
नजरि फेर अहाँ देखू एक बेर सूतल नीन्न जगायल छी
बन्न नयनसँ जगकेँ देखलौँ खोइल नैन हम सपनाकेँ
बाट हमर ओ ताकैत हेता झटपट भाइग परायल छी
पैरक पायल छम छम बाजै नैन कटार हम घायल छी
आइ अहाँ संग आँखि मिचौली खेली टीस करेज समायल छी
सबेर-सबेर सूरज प्रभातक किरण लऽ आबै नित दिन
हम पतंग बस उड़ि रहल मुदा डोरि हाथ नचायल छी
दोष सबटा हमरेपर जुनि सोचि रहल बस एतबे छी
बिना तेल दीपक केर टेमी सिहैक सिहैक कऽ बुतायल छी
प्रेम सरोवरमे डूबि रहल अछि मुदा किनारा नै भेटत
"सुमित" बैस बस ताकि रहल सबटा गप फरिछायल छी
वर्ण-23
सुमित मिश्र
करियन ,समस्तीपुर
No comments:
Post a Comment